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________________ १२ ६ : संवर तत्त्व के लक्षण तथा भेद संवर तत्व आने वाले कर्म रूपी जल के रोकता है, उसे सवर तत्त्व विशेष ५७ भेद है । जीव रूपी तालाव के अन्दर इन्द्रियादिक नालों व छिद्रों के द्वारा प्रवाह को व्रत - प्रत्याख्यानादि द्वारा जो कहते है । सवर के सामान्य २० भेद व जैनागम स्तोक संग्रह सामान्य २० भेद १ श्रुतेन्द्रिय निग्रह ( संवरण) २ चक्षु इन्द्रिय निग्रह ३ घ्राणेन्द्रिय निग्रह ४ रसनेन्द्रिय निग्रह ५ स्पर्शनेन्द्रिय निग्रह ६ मननिग्रह ७ वचन निग्रह काया निग्रह ६ भण्डोपकरण यत्ना से काम मे लेवे तथा यत्ना से रक्खे १० सूचीकुशाग्र भी यत्ना से काम मे लेवे ११ दया १२ सत्य १३ अचौर्य १४ ब्रह्मचर्य १५ अपरिग्रह ( निर्ममत्व ) १६ सम्यक्त्व १७ व्रत १८ अप्रमाद १६ अकषाय २० शुभ योग । संवर के विशेष ५७ भेद - ५ समिति, ३ गुप्ति, २२ परिषह, १० यतिधर्म, १२ भावना, ५ चारित्र | पाँच समिति तीन गुप्ति १ ईर्ष्या-समिति २ भाषा समिति ३ एषणा समिति ४ आदानभण्डमात्र निक्षेपना समिति ५ उच्चारपासवणखेलजलसघायणपरिठावणिया समिति । ६ मन गुप्ति ७ वचन गुप्ति काय गुप्ति । 5 २२ परिषह ९ क्षुधा परिपह १० तृषा परिपह ११ शीत १२ ताप १३ डस - ·
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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