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________________ विषय ज. क्षेत्र उ.क्षेत्र अवधि ज्ञान का विषय ( देखने की शक्ति ) नक्सा नं० १ १ २ रत्नप्रभा शर्करा प्रभा ३ । गाउ ३ गाउ ४ गाउ ३|| गाउ उ. देखे असंख्यात द्वीप समुद्र ३ 8 ५. ६ ७ बालु प्रभा पंक प्रभा धूमप्रभा तमः प्रभा तमतमः प्रभा १ गाउ ० ॥ गाउ २|| गाउ २ गाउ १ || गाउ ३ गाउ २|| गाउ २ गाउ १॥ गाउ १ गाउ विषय असुर कुमार & निकाय तिर्यच पंचे व्यन्तर न्द्रिय संज्ञी ज देखे २५ योजन २५ योजन संख्यात द्वीप समुद्र नक्सा नं० २ संज्ञी ज्योतिषी मनुष्य आंगुल के आंगुल के अ. भाग अ. भाग असंख्यात अलोक में अ. खण्ड द्वीप समुद्र देवलोक १-२ देवलोक ३-४ संख्याता प्रांगुल के आंगुल के द्वीप समुद्र अ. भाग असंख्याता रत्न प्रभा के अ. भाग द्वीप समुद्र नीचे का तला शर्करा प्र. के नीचे (चरमान्त) का तला, च. -U eu जैनागम स्तोक सं
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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