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तेतीस बोल
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देते हो, उस समय सभा में गडबड पड़े ऐसी उच्च आवाज से कहे कि समय हो गया है, आहारादि लेने को जाना है आदि तो अशा० । (२९) गुरु आदि के व्याख्यान देते समय श्रोताओ के मन को अप्रसन्नता उत्पन्न करे तो अशा० । (३० ) गुरु आदि का व्याख्यान बन्द न हुआ तो भी स्वयं व्याख्यान शुरू करे तो अशा० । (३१) गुरु आदि की शय्या पाव से सरकावे तथा हाथ से ऊची-नीची करे तो अशातना । (३२) गुरु आदि की शय्या पथारी पर खडा रहे, बैठे, सोवे तो अशातना । ( ३३ ) बड़ो से ऊ चे आसन पर तथा बराबर बैठे, खडा रहे, सोवे आदि तो अशातना ।