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जैनागम स्तोक संग्रह तेरहवें गु० संख्यात गुणा, जघन्य दो कोड़ी (करोड़) उ० नव करोड पावे । इससे सातवें गु० संख्यात गुणा, जघन्य २०० करोड़ उ० नवसे करोड़ पावे। इससे छठ गु० सख्यात गुणा, ज० दो हजार करोड़ उ० नव हजार करोड पावे । इससे पांचवे गु० असंख्यात गुणे, तिर्यंच, श्रावक, आश्री। इससे दूसरे गु० असंख्यात गु० ४ गति आश्री। इससे तीसरे गु० असंख्यात गुणा (४ गति में विशेष है ) इससे चौथे गु० असंख्यात गु० (अत्यन्त स्थिति होने से) इससे चौदहवे गु० और सिद्ध भगवन्त अनन्तगुणा । इससे पहेला गु० अनन्त गुणा (एकेन्द्रिय प्रमुख सर्व मिथ्या दृष्टि है इस आश्री)