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________________ १२० जैनागम स्तोक संग्रह १० संज्ञी द्वार :-सिद्ध नही तो संज्ञी और न असंज्ञी। ११ वेद द्वार :-सिद्ध मे वेद नहीं। १२ पर्याप्ति द्वार :-सिद्ध में न पर्याप्ति है और न अपर्याप्ति है १३ दृष्टि द्वार :-सिद्ध सम्यग् दृष्टि । १४ दर्शन द्वार :-सिद्ध मे केवल एक दर्शन-केवलदर्शन १५ ज्ञान द्वार :-सिद्ध में केवल ज्ञान ।। १६ योग द्वार :-सिद्ध में योग नही । १७ उपयोग द्वार :-सिद्ध में उपयोग दो-१ केवल ज्ञान २ केवल दर्शन। १८ आहार द्वार :-सिद्ध में आहार नही। १६ उत्पत्ति द्वार :-सिद्ध में उत्पत्ति नही । २० स्थिति द्वार :-सिद्ध की आदि है परन्तु अन्त नही । २१ मरण द्वार :-सिद्ध में मरण नही । २२ चवन द्वार .-सिद्ध चवते नही । २३ आगति द्वार :-सिद्ध मे एक गति-मनुष्य का आवे । २४ गति द्वार .-सिद्ध मे गति नही । ऐसे श्री सिद्ध भगवन्त को मेरा तीनो काल पर्यन्त नमस्कार होवे।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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