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________________ चौवीस दण्डक चौवीस दण्डक का वर्णन श्री जीवाभिगमसूत्र में किया हुआ है। गाथा सरीरो गाहण संघयण, संठाण कसाय तहहंति सन्नाय । लेसिदिअ समुग्घाए, सन्नी वेदेअ पज्जत्ति ॥१॥ दिठि दंसण नाणानाण, जोगोवउग तह आहारे । उववाय ठिइ समुहाये चवण गई आगई चेव ॥२॥ चौवीस द्वारों के नाम : १ शरीर, २ अवगाहना,' ३ संघयण,२ ४ संस्थान ५ कपाय, ६ संज्ञा, ७ लेश्या, ८ इन्द्रिय, ६ समुद्घात, १० संज्ञीअसजी, ११ वेद, १२ पर्याप्ति, १३ दृष्टि, १४ दर्शन, १५ ज्ञान, १६ योग, १७ उपयोग, १८ आहार, १६ उत्पत्ति, २० स्थिति, २१ समोहिया (मरण) २२ च्यवन, २३ गति और २४ आगति । १ शरीर द्वार :-शरीर पांच १ औदारिक शरीर, २ वैक्रिय शरीर, ३ आहारिक शरीर, ४ तेजस् शरीर ५ कार्माण शरीर । १ लम्बाई २ गरीर की वनावट, शरीर की आकृति ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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