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________________ ( ८३ ) कालु० ॥ ६ ॥ बय एकादश वर्ष थांगे । चारित्र लेवण हुया त्यारोजौ ॥ कालु० 91 माता सुत एकज साथै ।। दिवाली मघवा गशि हाथेजौ ॥ कालु० ॥८॥ वेद वेद सम्बत शुभकारी ।। बीदासर सहर मंझारी नौ ॥ कालु० ॥ ६॥ मघवा मांगाक मिग धारौ ॥ तस सेव करी धर प्यारी, जी ॥ कालु० ॥ १० ॥ दिनर गुण बधत सवायो॥ डालम गणिके मन भायो नी ॥ कालु० ॥ ॥ ११ ॥ बहु सास्त्र सौख हुया जाणों ॥ व्याकरण चन्द्रिका पिछाणो जी ।। कालु। ॥ १२ ॥ छासठ संबत शुभ कारी ॥ घया युग पदना अधिकारी जी ॥ कालु० ॥ १३ ॥ सावन बद एकम नाम लिखायो । कागज पूठे मै रखवायो जी ॥ कालु.॥ २४ ॥ भाद्रव शुद तेरस शुभ बेला ॥ थया च्चार तीर्थ सहु भेला जौ ॥ कालु० ॥ १५ ॥
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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