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________________ ( ७२ ) सातमो पाट भिक्षुगणो केरोङाल किंयो उजियार || आण अखंडित सांस मंडित सादृस जिन अवतार ॥ साहस जिन अवतार थयाधिप साहस जिन अवतार ॥ जीथांरि महिमां अंगम अपार ॥ गणांधिप सांभलतां सुखकार ॥ १ ॥ नयर उजेणौ मनोहर बारु कान कुले अवतार ॥ मात जंडाबां रे कुक्ष उपना बरत्या जयश्कार । बरत्या जयरकार गणांधीप बरत्या जयर कार ॥ जीथांरौ महिमा ॥२॥ नवके जन्म प्रभु तुम पाया ॥ तेवौसे चर्णधार ॥ चोपन गणपद पांट विराज्या || चहुं तौरथे हितकार ॥ जहं तिरथ हितकार गणां धिप चहुं तौरथ हितकार ॥ जौधारौ महिमा ॥ ३ ॥ पाट विराज्या सिंह जिम गाज्या देसना अमृतधार ॥ भविजन सुगर नै प्रति इर्षे पेखत पुज्य दिदार || पेखत पुज्य दिदार गणाधिप पेखत पुण्य दिदार | जौ धारि ॥४॥
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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