SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३२ ) कर दौनो ॥ भ० ॥ ८ ॥ मघवा गणि मांणक यश धारी ॥ तास चाकरौ बहु बिव कोधी ॥ हित चित लिव लारौ ॥ भ० ॥ ८ ॥ डाल गणि गुण संपन जाणो ॥ पवि तरयोको पदवी दोधौ ॥ कौधी अधिकाणी ॥ भ० ॥ १० ॥ गणाधिप डाल जबर गूंजे ॥ तास पुरण मरजी थांउपर ॥ प्रवल पुन्य पुंजै ॥ भ० ॥ ११ ॥ सर्व सतियांनै सुमति देवो । माईत' पणांकी मरजी करके || सह संभाल लेवो ॥ भजो० ॥ १२ ॥ प्रात्त समर्ण थौ कर्म टूटे । मुखड़ी देख्यां पातिक नाठे ॥ दुरगति दुःख छूटै ॥ भजो० ॥ १३ ॥ जोरावर लुल २ शिरनावे | निस दिन ध्यान धरै उर भौतर ॥ मरजी तुम चावै ॥ भजो० ॥ १४ ॥ संवत उगणी से छासठ आयो । श्रावन बदि कठ कलकत्ता में गुण तोरी गायो ॥ भजी ॥ इति । -॥ १५ ॥ . 4 "
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy