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________________ - - ( १३ ) डाल गणि वान्दो ॥ बन्दत प्रम भानंद लो ॥ भेटत शिव सुख कंद लो || मुख जिम पूनमचंद लो॥ अमोरे उपनादी खामी डाल गणि बान्हो ॥ अविजनम्तो प्यारो बुनिवर डाल गणि बांदो ॥ एषां ॥ बाद जिनंद ज्यु भिक्षु अधिक उजागर ॥ पंचम भार मंझार लो॥ धर्म प्रगट शियो बहु मवितास्या | जिन सांसण उजियार तो बांहो। ॥१॥ तसपट सप्तमें डाल सुनिंदा ॥ च्यार तीर्थ माधारलो। दर्श पियारो ज्यारो जे बोलू पावै ॥ पुन्य प्रवल तसुधार लो। बांदो। ॥१॥ समो सरण विच जिनार लोहै ।। भविमन मोहै अपार लो। जिम सुग्छ आरे बाप जिनवर जेहवा ।। जानसीरोमा सार लो ॥ बांदो ॥३॥ सभा शुधर्नी इन्द्र दिपावै।। जिम जिन सांसग आयलो। भिक्षु गणियो तखत दिपावो।। थारो हित
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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