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जनचालवोधकसाम्य भाव थिर रख मौनी रह, सर उपसर्ग उठाते हैं। गरमी सरदी मशक डांसके, परिषह सब सह जाते हैं ७८
सामायिकमें बैठनेके समयमें प्रारंभ रहित समस्त पापों का त्याग हो जानेसे और गमी सदी डांस मच्छरादिके उपसर्ग सहनेसे गृहस्य, जिस मुनिपर कपडा डाल दिया गया हो ऐसे मुनिकी तरह साक्षात् मुनि हो जाता है। इस कारण प्रति दिन ही मुनिधर्मकी शिक्षा देनेवाली सामायिक करना चाहिये ।। ७९ ॥
सामायिक करते समय क्या विचारना चाहिये ? अशभरूप अशरण अनित्य यह. परस्वरूपसारं महान | अतिशय दुःख पूर्ण है तौ मी, बना हुया है मेरा स्थान ॥ इससे विलकुल उलटा सुखमय, मोक्षधाम शास्वत सत्य । सामायिकके समय भव्यजन, ध्यान घरो ऐसा उत्तम ८०
जिसमें में निवास करता हूं ऐसा यह संसार अशरम -रूप अशुभरूप अनित्य दुःखमय और परस्वरूप है। मोक्ष 'स्थान इससे सथा विपरीत है इत्यादि कारसे सामायिक में उत्तम ध्यान करना चाहिये ।।८०॥
सामायिक शिक्षावत्तके पंचातीचर। . . अपने साभ्यभावको तनकर, करदेना चंचल तनको। बाणीको चंचल करदेना, करदेना चंचल मनको ॥ सामायिकमें करें अनादर, काल पाउ रखना नहि याद । -ये अतिचार पांच इस व्रतके, कहे गये हैं विना विवाद ॥