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तृतीय भाग। भूखके समय खाली पेट अथवा भोजनके वाद ही व्यायाम करना कदापि उचित नहीं । हां! धीरे धीरे मील डेढ मोल टहलनेमें कोई हानि नहीं।
--- -- ४२. वज्रकुमारकी कथा।
हस्तिनापुरमें राजा बलि राज्य करते थे, इनके पुरो। हित गरुडका लडका सोमदत्त था जो समस्त शास्त्रोंको पट. कर एकदफे अपने मामा सुभूतिके यहां अहिक्षत्रपुर गया । जाकर मामासे निवेदन किया-आप मुझे यहांके राजा दुर्मुख के दर्शन करा दीजिये परंतु मामा तो अपने घमंडमें चकचूर था इसवास्ते उसकी कुछ मी न सुनी, और यों ही टाल दिया लेकिन सोमदत्त कुछ अप्रसन्न होकर अकेलाही राज समामें जा पहुंचा और राजाको दरिमें बैठे हुए देख कर आशीर्वाद दिया, साथ २ अपने पांडित्यको भी दर्शा दिया जिसे देखकर राजा बडा प्रसन्न हुआ और उसी समय मंत्री पद पर नियुक्त कर दिया । जब मामा अपने भानजेकी ऐसी बुद्धिमत्तासे परिचित हुया तो उसने अपनी पुत्री यज्ञदत्ताका विवाह सोमदत्त के साथ कर दिया । कुछ दिन बाद यज्ञदत्ताके गर्म रह गया और वर्षाकालमें आम खानेका दोहला उत्पन्न हुआ। सोमदचको जब यह खबर लगी तो