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दसवेआलियं ..
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चत्तारि वमे . सया कसाए ।
धुवजोगी य हवेज्ज बुद्धवयणे । अहणे निज्जायरूवरयए
गिहिजोगं परिवज्जए जे स भिक्ख ॥६॥
सम्मद्दिट्ठी सया अमूढे
अत्थि ह नाणे तवे संजमे य । तवसा धुणइ पुराणपावगं
मणवयकायसुसंवुडे जे स भिक्खू ।। ७ ।।
तहेव असणं पाणगं वा
विविहं खाइमसाइमं लभित्ता। होही अट्ठो सुए परे वा
' तं न निहे न निहावए जे स भिक्खू ॥ ८ ॥ तहेव असणं पाणगं वा
विविहं खाइमसाइमं लभित्ता। छंदिय साहम्मियाण भुजे
भोच्चा सज्झायरए य जे स भिक्ख ।। ६॥
न य वुग्गहियं कहं कहेज्जा
न य कुप्पे निहुइदिए पसंते । संजमधुवजोगजुत्ते.
उवसंते अविहेडए जे स भिक्खू ।। १० ।।
जो सहइ ह गामकंटए .:: .
अक्कोसपहारतज्जणाओ य। ... भयभेरवसहसंपहासे
. . समसुहदुक्ख सहे य जे स भिक्खू ॥ ११ ॥