________________
- नंदी-सुत्तं .. .. से किं तं असुयनिस्सियं ?
असुयनिस्सियं चउव्विहं पण्णत्तं,
तं जहागाहा-उप्पत्तिया वेणइआ, कम्मिया परिणामिया ।
बुद्धी चउबिहा वुत्ता, पंचमा नोवलब्भइ ।। १ ।। पुव्वमदिट्ठमस्सुय, मवेइयं तक्खणविसुद्धगहियत्था। अव्वाहयफलजोगा, बुद्धी उप्पत्तिया नाम ।। १ ।। भरहसिल मिंढ कुक्कुड तिल वालुय हथिअगडवणसंडे । पायस अइआ पत्ते, खाडहिला पंचपियरो य ॥ २ ॥ भरहसिल पणिय रुक्खे, खुड्डग पडसरड काय उच्चारे। गय घयण गोल खंभे, खुड्डग मन्गि स्थि पइ पुत्ते ॥ ३ ॥ महुसित्थ मुद्दि अंके, नाणए भिक्खु चेडगनिहाणे। सिक्खा य अत्थसत्थे, इच्छा य महं सयसहस्से ।। ४ ।। भरनित्थरणसमत्था, तिव्वग्ग-सुत्तत्थ-गहिय-पेयाला। उभओ लोग फलवई, विणयसमुत्था हवइ बुद्धी ॥ १ ॥ निमित्तं अत्थसत्थे अ लेहे गाणए अ कूव अस्से य । गद्दभ लक्खण गंठी अगए रहिए य गणिया य ।। २ ।। सीआ साडी दीहं च तणं, अवसव्वयं च कुचस्स। निव्वोदए य गोणे, घोडग-पडणं च रुक्खाओ ।। ३ ।। उपओ ग-दिट्ठ सारा, कम्म-पसंग-परिघोलण-विसाला। साहुक्कार फलवई कम्मसमुत्था हवइ बुद्धी ।। १ ।। हेरण्णिए करिसए, कोलिअ डोवे य मुत्ति घय पवए । तुन्नाए, वड्ढई पूयइ य घड चित्तकारे य ।। २ ।।