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सत्तावीसइमं अज्झयणं
२०३ भिक्खालसिए एगे एगे ओमाणभीरुए थी । एगं च अणुसासम्मी हेऊहिं कारणेहि य ॥ १० ॥ सो वि अन्तरभासिल्लो दोसमेव पकुव्वई। आयरियाणं तं वयणं पडिकूलेइ अभिक्खणं ।। ११ ।। न सा ममं वियाणाइ न वि सा मज्झ दाहिई। . निग्गया होहिई मन्ने साहू अन्नोऽत्थ वच्चउ ।। १२ ।। पेसिया पलिउंचन्ति ते परियन्ति समन्तओ। रायवेट्टि व मन्नन्ता करेन्ति भिउडि मुहे ।। १३ ।। वाइया संगहिया चेव भत्तपाणे य पोसिया। जायपक्खा जहा हंसा पक्कमन्ति दिसोदिसि ।। १४ ।। अह सारही विचिन्तेइ खलंकेहिं समागओ। कि मज्झ दुट्ठसीसेहिं अप्पा मे अवसीयई ॥ १५ ॥ जारिसा मम सीसाउ तारिसा गलिगदहा । गलिगद्दहे चइत्ताणं दढं परिगिण्हइ तवं ॥ १६ ।। मिउ मद्दवसंपन्ने गम्भीरे सुसमाहिए। विहरइ महिं महप्पा सीलभूएण अप्पणा ।। १७ ।।
. . . त्ति बेमि ।।