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समर्पितम्
यह 'लघु निबन्ध' स्वर्गीय श्री श्री १००८ गणी श्री उदयचन्द्र जी महाराज के कर कमलों में समर्पण किया जाता है। आप की प्रथम ही यह उत्कृष्ट भावना थी कि जैनागमों में निर्दिष्ट प्रमाण और नय-वाद आदि का बोध न्याय शास्त्र के जिज्ञासुत्रों के लिए आवश्यक है ।
अतः मैं उसी भावना से प्रभावित होकर यह शास्त्रीय निबन्ध आप श्री जी की सेवा में समर्पित कर के हषातिरेक का अनभव कर रहा हूँ |
भवदीयः
आचार्य जैन मुनि, आत्माराम
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