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समादृत किया गया है। श्री देवीलाल सामर ने भारतीय लोक-कलाओं के उन्नयन
महान् कार्य किया है । आपने अंतर्राष्ट्रीय 'कठपुतली' प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर विश्व का प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। आप भारतीय लोककला मंडल के संचालक एवं राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष हैं ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि मेवाड़ के इतिहास व जैन धर्म तथा मेवाड़ के जीवन-क्षेत्रों में जैनियों की कृषि, वाणिज्य, वीरता व प्रशासन - कुशलता की चतुर्मुखी गतिविधियों में इतना संगुफन है कि इन्हें हम पृथक कर ही नहीं पाते । जैनियों ने मेवाड़ के धर्म, अर्थ, कर्म, ज्ञान, भक्ति, शक्ति सभी को चरम सीमा तक प्रभावित किया है और अपने अहिंसाजीवी जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में ये लोग पूर्ण पराकाष्ठा पर पहुंचे हैं ।
१६६ : जैन विद्या का सांस्कृतिक अवदान