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जैन-वीरों का इतिहास
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लंधी मोलीजा
लेखकबाबू कामताप्रसाद जैन, एम. चार ए पी.
मॉन सम्पादक “वीर
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'य कर्म वीर कि मृत्यु का भी ध्यान कुछ धरते न था थे युद्धवीर कि काल से भी हम कभी डरत न थे।
थे दानवीर कि देह का भी 'लोभ हम करत न य । हर थे धर्मवीर कि प्राण के भी मोह पर हटते न थे।"
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प्रकाशक
जैन मित्र मंडल
धर्मपुरा, देहली। प्रथमवार १०००१ अप्रल, १९३९ । मूल्य ।) अाने