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________________ (३६) है-परिक्रमाका रास्ता प्रायः १३ कोसके लाभग है. जो भाई पैदल जानेसे अशक्त हैं वे डोलीकरके भी जा सकते है । डोलीका माड़ा २॥ ) रुपयाके करीब लगता है । डोलीकी जरूरतवालोंको चाहिये कि वे वन्दनाके एक दिन पहले ही कोठीके मुनीमको डोलीके लिये सूचना दे देवें । बालकोंके लिये गोदीवाले भी मिलते है । यात्री लोग आरामके लिये, वर्तन वगैरह भी कोठीसे रसीद लेकर ले सकते है शिखरजीसे यात्री कलकत्ता इत्यादि छोड़ कर चम्पापुरी जाना चाहें तो वे गिरीडी नाकर नाथनगरका टिकट लेवें, और जो कलकत्ता जावें वे ईसरी व गिरीडी जहां चाहें वहां जावें हावडाका टिकट लेवें, गिरीडीसे कलकत्ताका किराया २%) लगता है व ईसरासे २) लगता है। कलकत्तेमें हरीसनरोड बड़े बाजारमें ३,४ धर्मशालायें हैं १ सेठ रामकृष्णदासनीकी तथा दूसरी बाबू सूर जमलकी हैं दो और किसीकी है, कलकत्तेमें दिगम्बरियोंके ५,६ मंदिर हैं तथा श्वेताम्बरियोंके ३-४ हैं। वहांसे गुणावा, पावापुरी तथा राजगृही होते हुए पटनाकी टिकट लेवें वहांसे आरा जावें। जिसको शिखरजीसे काशी या कलकत्ता न जाना हो व सीधा दक्षिणकी तरफ जाना हो तो वे ईसरीसे गोमो या आसनपोल जाकर नागपुरका टिकट लेवें । या जो खंडगिरी जाना चाहें वे गोमोसे सीधा मुवनेश्वरका टिकट लेवें। शिखरजीसे जो आदमी कलकत्ता व खंडगिरी जाना चाहें उनको प्रथम खंडगिरी जाना चाहिये । खंडगिरी जानेवालोंको
SR No.010325
Book TitleJain Tirth Yatra Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDahyabhai Shivlal
PublisherDahyabhai Shivlal
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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