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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
साधु-साध्वी बहुत शीस महल, मोती
(५७) बीकानेर | स्टेशन से एक मील पर १ दि०जैन चैत्यालय व १ घर श्रावक 'सुखदेव गोपीलाल का है, १ घर दि० जैन ओसवालका भी है । ओमवाल श्वेतांबरोंके घर बहुत हैं। श्वेतांबर रहते हैं । शहरका बाजार, राजा सा०का महल, भवन, तोपखाना, किला, नया महल, देखने योग्य है । बड़े बढ़िया ३६ श्रीमती मंदिर हैं । उनमें कुछ मंदिर देखने काबिल हैं, एक मंदिर में आदीश्वरस्वामीकी बहुत बड़ी पद्मासन मूर्ति है । एक बंद मोहरे में हजारों प्रतिमाएँ हैं । परन्तु दर्शन नहीं होते हैं । " गेग और कोई उपद्रव आवें तब इस मौहरेका खोलकर पूजन-भजन कोनो सवं शांति होती है !" ऐसा श्वेबाम्बर लोग कहते हैं। आगे जाना हो तो पंजाब में जावें, नहीं तो लौटकर फलोदी आजाना चाहिये । (५८) फलोदी |
स्टेशन मे ग्राम नजदीक है । दश घर दि० जैनियोंके हैं । गांव के कुछ फामलेपर प्राचीन कोटका दरवाजा, धर्मशाला सहित मंदिर में पार्श्वनाथकी प्रतिमा बालू रेतीकी महामनोज्ञ है । मंदिर वगैरह पहिले दिगम्बरी था, अब दि० की मोह निद्रासे कुछ कालसे कुछ हक्क श्वेताम्बरों का भी है । परन्तु मंदिर में प्रतिमाएं दोनोंकी हैं। यहां दिगम्बरी हमेशा दर्शन-पूजन करते हैं । कार्तिक सुदी १५ को यहां पर मेला भरता है, आसपासके दि० श्वे० दोनों यात्री खाते हैं । प्रतिपदा दिन दोनों लोग अपने २ मंडप बनाकर भगजानको विराजमान करके अपनी २ पूजा प्रभावना करके चले जाते हैं । महांसे एक रेल मेरता जाती है। मेरता गांव व मंदिर अच्छा है,
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