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जैन तीर्थयात्रादर्शक। बड़ी पाठशाला व दवाखाना है । यहांपर भी धर्मध्यान अच्छा है, पं० पन्नालालनी बाकलीवाल यहींके वासी हैं। यहांसे आगे जाने. वाले रत्नगढ़ चरू होकर ही हांसी, हिसार मिक जावे । फिर मुजानगढ़से लौटकर डेहगाहना नावे ।
(५१.) रत्नगढ़ । यहां दि० जैन कुछ घर हैं। एक दि० जैन मंदिर भी है। यहांसे एक रेल्वे बीकानेर जाती है । उसका हाल आगे लिखेंगे वहांसे जाना चाहिये।
(५२) चरू। स्टेशनपर एक हिन्दु धर्मशाला है, गांव २ मील है, १ मंदिर कुछ घर दि. जैन अग्रवालोंके हैं, एक रास्ता रामगढ़ आदि सीकर तक चारों तरफ मारवाड़के ग्रामों में जाता है ।
(५३) हांसी हिमार । ___ स्टेशनसे १॥ मील दूर शहर है, दि० जैन अग्रवालोंकी बस्ती बहुत है, बड़े२ दि० मंदिर हैं, स्टेशनपर अन्यमतियोंकी धर्मशाला है। कवि बाबृ न्यामतसिंह जी यहांके निवासी हैं, जिन्होंने नाटक, मजन मादि बहुत बनाये है, यहींपर भी कुछ चीजें देखने काबिल हैं। यहांसे एक लाइन भिवानी होकर देहली जा मिली है।
(५४) भिवानी। वहांपर १०० घर दि. जैनोंके हैं। एक मंदिर, पाठशाला, धर्मशाला मी। हांसीसे एक रेस्ने पानीपत, सुनपत मादि पंजाबमें जाती है। पर आगे जाना-माना पड़े तो यही हाल मानकर जाना-माना चाहिये,नही जानाही तो डेहगाहनामंकन मानावे।