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२१२] जैन तीर्थयात्रादर्शक । और भी प्रतिमा हैं। एक मंदिर रनवाड़ाके पीछे नरसिंहपुरा मैनोंका है । दर्शन करके शहर देख लेवे ।
जंवरीबागमें स्व. हु. दि. जैन महाविद्यालय है। जिसमें न्यायतीर्थ और शास्त्री कक्षातककी पूर्ण पढ़ाई होती है। एक विशाल बोर्डिंगहाउस भी है जिसमें करीब १०० विद्यार्थी रहते हैं । दीतवारामें कंचनबाई श्राविकाश्रम है । जैन औषधालय, भोजनशाला, कंचनवाई प्रसुतिगृह और तिलोकचंद जैन हाईस्कूल, कल्याण बोर्डिंग हाउस आदि अनेक जैन संस्थायें दर्शनीय हैं। सब देखना चाहिये। बाजार बहुत बड़ा है। कुछ खरीदना हो सो खरीद लेवे। फिर यहांसे मोटरका १॥ देकर श्री बैनडाजी जावे । बीचमें जमकुपुरा पड़ता है । यहां भी १ मंदिर है। जिसमें प्राचीन प्रतिमा दर्शनीय हैं। यहां २० घर जैनियोंके हैं। २ मील दूरीपर बैनडानी का मंदिर है। बीचमें १ बड़ा भारी तालाव है । तालावके पामसे रास्ता है। मागे तालावके किनारे ही मंदिर दीखता है।
(१६३ ) श्री वैनडाजी अतिशय क्षेत्र । यहांपर बड़ा भारी गढ़ खिंचा हुआ है । बीचमें धर्मशाला, कुमा है । मुनीम रहता है। भंडार भी है। छोटासा ग्राम पासमें है। माम, १ चैत्यालय है । ४ घर भैनियोंके हैं । गढ़के भीतर ही बड़ा भारी विशाल गुम्मटवाला बादशाही समयका मंदिर है। भीतर ३ जगह बहुत प्रतिमा है। बहुत यात्री आते-जाते रहते हैं। लौटकर वापिस इन्दौर आवे। इन्दौरसे १ गाड़ी फतिहाबाद । R, रतलाम, नीमच, मावरा, मंदसौर, चितौड़गढ़ । १ बड़ोदरा, १