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२००] जैन तीर्थयात्रादर्शक । है। यहांसे मालेगांव, सीरपुर ( अंतरीक्ष पार्श्वनाथ ) होकर अकोला तक १॥) में मोटर जाती है । इमका हाल ऊपर लिख दिया है।
पूर्णासे आगे १ गाड़ी शिकन्दराबाद, हैद्राबाद जाती है । सो यहांसे ३) देकर शिकन्दराबादका टिकट लेलेना चाहिये । शिकन्दराबाद उतर पड़े । बीच अल्बल स्टेशन पड़ता है। यहांसे ३ मील माणिक्यस्वामी पड़ता है ।
(३४३ / शिकन्दराबाद । शहर स्टेशनसे २ मील दूर है । शहर अच्छा रमणीक हैं। निनामका राज्य है । ३ मंदिर और बहुत प्रतिमा हैं । दि० भाईयोंके घर बहुत हैं । यहांसे ३ मील दूर जंगल है। तांगा करके कुलपाक जाना चाहिये। (३४४) माणिक्यस्वामी अतिशयक्षेत्र (कुलपाक )।
यहांपर १ मंदिर बहुत प्राचीन तथा धर्मशाला है। मंदिरमें हरित वर्णकी प्रतिमा माणिक्य म्वामी ( आदिनाथ ) की सुन्दर विराजमान है। और भी बहुत प्रतिमा हैं। यहां बहुत प्रतिमा श्वेताम्बर भाईयोंने अपनी कग्लीं हैं । पहिले यहांपर लाल वर्ण रत्नकी प्रतिमा बहुत कीमती विराजमान थी, उमीका नाम माणिक्य स्वामी था। आज वह प्रतिमा लापता है । न मालूम वह कौन लेगया । उसीके बदले में स्फटिकमणिकी प्रतिमा विराजमान है । सुना जाता है कि कभी २ यहांपर केशर चंदनकी वृष्टि होती है ! यात्रा करके सिकन्दराबाद लौट आना चाहिये । सिकंदराबादके एक स्टेशन पहिले अलबत स्टेशन पड़ता है। वहांसे ३ मील माणिक्यस्वामी पड़ता है। चाहे जहांसे चल जाय । सिकं.