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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
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कालका से मद्रासकी यात्रा करता हुआ रामेश्वर, एरोडा, मंगलोर होता हुआ मूलबद्री जावे । मद्राससे आगेकी यात्रा नहीं करना हो तो सीधा मंगन्द्रा मूलबद्री नावे | १०) देकर टिकट मंगलरकी लेवे । काटपाडी, आरकोनम पड़ता है । यह गाटो जोरालपेठ नं ० बदलती है । बीचमें एरोडा पड़ता है। मंगल होकर मूलबद्री जावे, रामेश्वर न जाकर मीषा मगन्दर जावे । उपर देखो | ( २६४ ) मंगन्दर शहर ।
यह शहर अच्छा है, समुद्र के किनारे है, स्टेशन मे १ मील दूर कमाई कीमें १ दि० जैन मन्दिर व ठहरनेका प्रबन्ध है । दि० जैन चोडिगमें भी ठहरने का इन्तजाम है। चैत्यालय है. शहर देखने योग्य है, आगबोट चारों तरफ जाती है । जहा चाहे जा सकते हैं । १ रास्ता रेलका भी आता है, फिर यहांसे 111 ) सवारी २२ मील पक्की सड़कसे मोटर मूडबिदी जाती है ।
मृचना - रायर, मुडबडी, मीरन, सीमोगा, मीकरी, बेंगलर, मैमूर, जबद्री तरफ नारियल, फनस केला बहुत मिलते हैं । इनका व्यापार भी खूब होता है । यहांकी भाषा "कनाड़ी" और " तामिल" है, लोग हिन्दी बहुत कम समझते हैं। इंग्लिशसे काम चलता है । कई लोग इशारे या उस पदार्थको छू कर काम चलाते हैं। इस देश में चांवल बहुत पैदा होता है, चांवलोंकी ही पकवान, पुबा, पुरी, लड़ड़ बनते हैं। नारियलका तेल निकल कर विकता है, गेहूं, घृत बहुत कम मिलता है । कम खाते हैं, मंदिरोंको जैन बस्ती बोलते हैं, प्रत्येक यात्रीको इसका ध्यान रखना चाहिये । इस देशमें मन्दिरको कुछ मेट देना हो तो वहीं पर चढ़ाने, भंडार