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(१७) उपयोगी ममोत्तर! १-तीर्थयात्रा करनेमें क्या फल, क्या फायदा होता है ?
उत्तर-पापकर्मोका नाश, पुण्यकर्मोका बंध और परम्पराय मोक्ष भी मिलता है। पुण्यसे मुखकी प्राप्ति होती है। "भाव सहित वैदै जो कोई, ताहि नरक पशुगति नहिं होई", ऐसा ही शिखर महात्म्य, पूजापाठ आदि धार्मिक ग्रंथोंमें लिखा है।
२-इसके सिवाय और कुछ भी लाभ है ?
उत्तर-देवो ! शरीर तथा उत्तम कुल धन पानेकी सफलता पात्रोंको दान, सज्जन मिलन, देशाटन, नवीन२ पदार्थोका देखना, शहरोंका देखना, बुद्धिका निर्मल होना, प्रबल कटादिकी सहनशीलता, नम्रता, त्यागादिककी बहुलता, आलस्य, परीषहादिकका विजय, धर्मायतनोंका निरीक्षण, अनाथालय, विद्यालय, बोर्डिंग, श्राविकाश्रम, कन्याशाला, विधवाश्रम देखना, पंडितोंका समागम, क्रोध, मान, माया, मत्सर मावोंका त्यागना, मुनि, मार्यिका, श्रावक, श्राविका, ब्रह्मचारी आदिके दर्शन, बड़े२ सेठ व विद्वान लोगोंका मिलाप इत्यादिक लाभ तीर्थयात्रासे होता है।