SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [१०५ है। यहां तांगा बहुत खड़े रहते हैं माल सब मिलता है । लखनऊ सिटीसे १ मील दूर म्वाहागंनमें दि० जैन धर्मशाला, पाठशाला है। १ मन्दिर बड़ा भारी हैं, जिसमें ३ वेदी और प्राचीन मनोज्ञ प्रतिमा हैं, छोटी लाइनसे इस बाग स्टेशन है। वहांसे ननदीक डालीगंजमें बड़ा भारी बगीचा है । कुआ, धर्मशाग, मन्दिर, बानार, ननदीक है । यहां माघ सुदी ५ को प्रतिवर्ष मेला भरता है। उपमें ४ दिन तक यात्रा होती है, श्रीनीका रथ निकलता है, पूना आदिका बहा आनन्द रहता है । यहाँका स्थान बड़ा सुन्दर और हवादार है, यहांसे एक मन्दिर खण्डेलवालका २ मील पड़ता है । यहां र शहरमें नैनियों की बहुन वानी है। ब्रह्मचारी शीतलामाद नी यहींके निवामी हैं, जिन्होंने समानका बड़ा उपकार गर्ने देश द्वारा किया है और अनेक उपयोगी अन्य लिग्वे हैं। यहां गाट दरवाना, तम्बीर घर, घण्टाघा, आमकदोलाका महल, मनायब घर अदि देखना हो तो तांगा किराया करके जावे । आने ममय हर जगह नांगा मिलना है। दूसरा तांगा करके चला भावे, ऐसा करनेमे दाम कम लगता है और आकुलता भी नहीं बढ़ती है । लम्बन उमें एक और स्टेशन है । दलीलगंन इत्यादि । यहांसे एक रेलवे कानपुर, एक बड़ी लाईन फैनाबाद, अयोध्या, कागी, मोगलमगय नाकर मिल नाती है । अब हम लखनउसे भटनी लाइनकी यात्रा लिम्बने हैं । यह रेलवे कानपुरसे लखनऊ, बाराबंकी, गौड़ा, गोरखपुर, भटनी पारा होती हुई जंबी कटीहार तक चली जाती है । १ गाड़ी बरेली नाती है । एक लाईन सहा
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy