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जैन तीर्थयात्रादर्शक। [१०३ है अवश्य देखना चाहिये । यहांसे एक रेलवे झांसी, १ छोटी लाइन मथुरा अचनेरा तक, १ कलकत्ता तक, एक इलाहाबाद । कानपुरसे आनेवाले भाइयों को इलाहाबादके पहिले भरवारी स्टेशन उतरना चाहिये । टिकटका दाम १॥) लगता है ।
(१७८ ) भरवारी। म्टेशनसे ग्राम न नदीक है, २ मनियोंकी दुकान हैं। फिर यहांसे तांगा करके पफोमा पहाड़ नाना चाहिये। यहांमे सवारी बैलगाड़ी, तांगा की जाती है । १५ मील पड़ता है, पक्की सड़क और कच्ची दोनों हैं।
(१७१ ) पफोसा पहाड़ । यहांपर जंगलमें १ धर्मशाला, का है, मुनीम भी रहता है। इसके पास पफोसा नामका पहाड़ है । मोटो लगी है, कुछ चढ़ाव है। ऊपर मन्दिर है, पहाड़में गुफाप हैं, प्राचीन प्रतिमा हैं। छठवें श्री पद्मप्रभु म्वामीका यहांपर तप ज्ञान कल्याणक हुआ था । यह स्थान बड़ा पवित्र और रमणीक है ! यहांपर मेला भराता है, यात्री माने जाने रहने हैं। यहांकी यात्रा करके एक जानकार आदमीको साथ लेकर ६ मील दूर गढ़वायके मंदिर जाना चाहिये । पहिलेकी यह कौशांबी नगरी है। आन जंगल है ! जमना नदी ननदीक वहती है। १ धर्मशाला है, भीतरमें दो मंदिर हैं-१ चतुर्मुख मंदिरमें चतुर्मुग्व प्रतिमा पद्मप्रभुकी है, एक मंदिर बहुत ही प्राचीन है जिसमें प्राचीन प्रतिमा और चरणपादुका हैं। यात्रा करके स्टेशन भरवारी लौट आना चाहिये। यहांसे फिर टिकट 1)। देकर इलाहाबाद उतर पड़े।