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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
५३ प्राचीन प्रतिमाएं बहुत मनोज्ञ हैं । २ सहस्रकूट चैत्वाल्य, १ नंदीश्वर द्वीप, बहुत यंत्र और पंचमेरु हैं। यहांकी प्रतिमा अपूर्व दर्शनीय हैं। एक मंदिरके भंडारमें बहुत प्रतिमा स्फटिकमणि, मुंगामोती, चांदी आदिकी हैं। सो यात्रियोंको भंडारके सेठको बुलाकर दर्शन अवश्य करना चाहिये । एक वयोवृद्ध सेनमणकी गादी में भट्टारक श्री वीरसेन स्वामी अध्यात्म शास्त्र के ज्ञाता, वेदशास्त्र के मर्मी हैं। उनसे मिलना चाहिये । बड़ेर जैन अजैन विद्वान इनसे मिलने जाते हैं। फिर ब्रह्मचर्याश्रम देखना चाहिये । फिर लौटकर १ || - ) देकर ऐलेचपुर जाना चाहिये । बीचमें मूर्तिजापुर गाड़ी 1 बदलना चाहिये । रान्तेमें अजनगांव पडता है । यहांपर ३ मंदिर और सेठ मोतीसाव आदि दि० जैन रहते हैं ।
( १०४ ) एलेचपुर |
स्टेशनसे पहिले ) सवारीमें परतवाडा जाना चाहिये ।
( १०५ ) एलीचपुरकी छावणी ।
यहां पर १ दि० धर्मशाला, १ मंदिर और २० गृह दि० जैनके हैं। पांच मील उपर सेठ किशुनलाल मोतीलालजीका बगीचा है । यहां पर जंगल, कुआ, मंदिर सब हैं । यह स्थान स्टेशन से परतवाडा जाते समय गनेमें पड़ता है। यात्रियों को तांगावाले से कहकर जहां चाहे टर जाना चाहिये । महांसे ) सवारी में मोटर एलेचपुर जाती है। सो पहिले वहां जाकर दर्शन करें । (१०६) एलेचपुर शहर ।
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यह शहर पुराना है, यहां १ स्थानमें ४ मंदिर हैं, सो छकर दर्शन करना चाहिये। एक मंदिर सुलतानपुरा में है। यहां