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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
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रहका सामान मिलता है। कुछ लेना हो तो लेलेवे। यहां श्वेताम्बर भाइयोंकि सात हजार घर हैं व ३५० मन्दिर है। जिनमें कुछ देखने काबिल हैं। फिर यहांसे स्टेशन आकर ईडरका टिकट १) देकर लेना चाहिये । बीचमें रखियाल, तलोद, प्रान्तीन, हिम्मतपुर 1 नगर पड़ते हैं । हिम्मतनगर से मोटर में भीलोड़ा, डुंगरपुरका दर्शन करते हुए केशरियानाथ की यात्रा करके फिर उदयपुर जावें । सब दि० जैन मन्दिर और घर हैं । ( वह हाल गिरनार से केशरियानाथकी यात्राका लिखा है ।)
० - ७० घर
( ८७ ) ईडर । स्टेशन से ग्राम १ मीलकी दूरीपर है। मोटर, कुही आदि मिलते हैं । यह ग्राम राजाका होनेसे बड़ा रोनकदार है । यहां १ दि० धर्मशाला, १ बोर्डिंग, १ कन्याशाला और अनुमान ६ 'जैनियों के हैं । ३ मंदिर बड़े२ आलीमान बने हुए हैं। चौतरफ प्राचीन प्रतिमा पाषाण, बा, चांदी आदिकी मनोहर हैं । १४ प्रतिमा चांदीकी और १४ प्रतिमा सहस्रफण युक्त सर्पवाली पार्श्वनाथकी हैं । ३ प्रतिमा बहुत विशाल हैं । एक मीलकी दूरीपर गढ़पर बहुत प्राचीन मंदिर है । सब दर्शन करें | यहांपर लकड़ीका खिलौना, चक्र, वेलन, पहिरनेका गहना आदि बहुत चीनें तैयार होती हैं। और फिर दिशावरोंको भेजी जातीं हैं। यहांका मंदिर पहिले भट्टारकनीका प्राचीन ढंगका बनाया हुआ है । पहिले यहांपर स्थिरस्थायी भट्टारककी गद्दी २७ पीढ़ी तक चलती रही थी। जिसमें बहुतसे महाराज विद्वान्, तपस्वी, कांतिबान हुए । उनके उत्साहसे यहां पर हस्तलिखित शास्त्रोंका बड़ा