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बनवाया है। कहते हैं, यहां बल्जाल नामक एक राजा ने ६E मंदिर, ६६ बावड़ी और 6 सरोवर बनवाये थे। यहां बहुत से मंदिर और मूर्तियाँ जमीन से निकली हैं, जो दर्शनीय हैं और मालवा के उदयादित्य राजा के समय के बने हुए हैं। पुराने जमाने में यहां एक विद्यालय भी था। पाषाण पर स्वर-व्यंजन अङ्कित है। इनमें से कुछ का जीर्णोद्धार लाखों रुपये खर्च करके किया गया है। कई मंदिर बहुत ही टूटी अवस्था में हैं और उनका जीर्णोंद्वार होने की आवश्यकता है। यहां के दर्शन कर लारी से बड़वानी जाना चाहिए।
___ बड़वानी-चूलगिरि (वावनगजा)
बड़वानी एक सुन्दर व्यापारिक नगर है। यहाँ एक बड़ा भारी दि० जैन मन्दिर है ! एक पाठशाला और दो धर्मशालायें हैं। बड़वानी का प्राचीन नाम सिद्ध नगर सिद्धनाथ के विशाल मन्दिर के कारण प्रसिद्ध था। यह मन्दिर मूलतः जैनियों का है, परन्तु अब हिन्दुओं ने उसमें महादेव की स्थापना कर रक्खी हैं।
बड़वानी से दक्षिण की ओर थोड़ी दूर पर चूलगिरि नामक पर्वत है। यहाँ से इन्द्रजीत और कुम्भकरण मोक्ष गए हैं। यहां पर दो दिगम्बर जैन मन्दिर और दो धर्मशालायें हैं। यह मन्दिर बड़े रमणीक हैं। एक मन्दिर में एक बावनगजा जी की खड्गासन प्रतिमा महा मनोहर, शान्तिप्रद और और अनूठी है। यह पहाड़ में उत्कीर्ण हुई ८४ फीट ऊंची है और श्री ऋषभदेव जी की है। किन्तु कुछ लोग उसे कुम्भकरण की बताते हैं। उसी के पास एक | गज की प्रतिमा इन्द्रजीत की हैं। इन दोनों प्रतिमानों के दर्शन से चित्त प्रसन्न होता है। पहाड़ पर कुल २२ मन्दिर और एक चैत्यालय हैं। बड़वानी में जैन बोडिंग भी है। यहाँ से मऊ छावनी माकर उज्जन जाना चाहिए।
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