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मेले होते हैं। यहां ही पास में वसूमा नामक ग्राम में भी दर्शनीय और प्राचीन प्रतिबिम्ब हैं। यहाँ एक श्वेताम्बर मन्दिर भी है। यहाँ से वापस मेरठ प्राकर और हापुड़-मुरादाबाद जङ्कशन होते हुए अहिक्षेत्र पार्श्वनाथ के दर्शन करने जावें, ऑवला स्टेशन आगरा बरेली पैंसिज्जर से उतरें और वहां से ताँगे द्वारा अहिक्षेत्र रामनगर जावें।
श्री अहिक्षेत्र जिला बरेली के गांव रामनगर में अहिक्षेत्र वह प्राचीन स्थान है जहाँ भ० पार्श्वनाथ का शुभागमन हुअा था। जब भगवान तत्कालीन "नागवन" के नाम से प्रसिद्ध स्थान में ध्यानमग्न थे और जब कमठ के जीव संवर नामक ज्योतिषी देव ने उन पर रोमांचकारी घोर उपसर्ग किया था, तब पद्मावती और धरणेन्द्र पाये, धरणेन्द्र ने भगवान् को अपने सिर पर फण मंडप बनाकर उठा लिया और पद्मावती ने "नागफण मंडलरूप” छत्र लगाकर अपनी कृतज्ञता प्रकट की थी, इस घटना के कारण ही सौधर्मेन्द्र ने उस नागवन का नाम अहिक्षेत्र प्रकट किया। वहीं जैनधर्म का केन्द्र बन गया। यहाँ जैनी राजाओं का राज्य रहा है। राजा वसुपाल ने यहाँ एक सुन्दर सहस्र कूट जिन मंदिर निर्माण कराया था जिस में कसौटी के पाषाण की नौ हाथ उन्नत लेपदार प्रतिमा भ० पार्श्वनाथ को विराजमान की थी। प्राचार्य पात्र केशरी ने यहाँ पद्मावती देवी द्वारा फण मंडप पर लिखित अनुमान के लक्षण से अपनी शंका निवारण कर जैनधर्म की दीक्षा ली थी। यह प्राचार्य राजा अवनिपाल के समय में हुए थे और राजा ने भी प्रभावित होकर जैनधर्म धारण कर लिया था। चूंकि यह स्थान भ० पार्श्वनाथ के बहुत पहले से जैन संस्कृति का महान केन्द्र था, इस लिए वह भगवान् यहां पधारे थे। जिस समय गिरिनार पर्वत पर भ० नेमिनाथ का निर्वाण कल्याणक मनाया गया था, उसी समय