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[१६] पार्श्वनाथ स्वामी की ढाई फीट ऊंची श्याम पाषाण की अतिशययुक्त चतुर्थ कालकी महामनोज्ञ प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा के कारण ही यह अतिशय क्षेत्र प्रसिद्ध है। इस मंदिर के चारों मोर ५२ देवरी और बनी हुई हैं, जिनमें ५२ दि० जैन प्रतिमायें मूलमंघी शाह जीवराज पापड़ीवाल द्वारा प्रतिष्ठित विराजमान हैं। यहां के दर्शन करके भोपाल जावे।
भोपाल यह मध्य प्रदेश की राजधानी है। यहाँ चौक बाजारके पास जैन धर्मशाला है। यहाँ एक दि० जैन मंदिर और एक चैत्यालय है। यहां से कुछ मील दूर जंगल में बहुत सी जैन प्रतिमाएँ पड़ी हुई हैं। उनकी रक्षा होनी चाहिये। एक बड़ी खड़गासन सुन्दर प्रतिमा एक मकान में विराजमान करा दी गई है। यहां दर्शनीय स्थानों में प्रसिद्ध तालाब तथा नबाबी इमारतों को देखकर इटारसी होता हुआ नागपुर अकोला पावे।
श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ - श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र अकोला स्टेशन (मध्य रेलवे) से ४४ मील दूर शिरपुर ग्राम के पास है। शिरपुर में दो दि० जैन मन्दिर हैं, जिसमें एक बहुत पुराना है। उसके भौहरे में २६ दि० जन प्रतिमायें विराजमान हैं। इसके सिवा चार नशियाँ भी दि० आम्नाय की हैं। यहां मूलनायक प्रतिमा श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ की चतुर्थ काल की है। यह प्रतिमा अनुमानतः २॥ फीट ऊँची, अधर जमीन से एक अंगुल माकाश में विराजित है। इस मन्दिर का निर्माण १००० वर्ष पूर्व राजा श्रीपाल ने कराया था। यह मन्दिर तीन मंजिल का है।
नागपुर स्टेशन से एक मील दूर जैन धर्मशाला में ठहरें। यहाँ कुल