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(क) अनेकान्त---नाना धर्मरूप वस्तु अनेकान्त है |
(ख) स्याद्वाद - अपेक्षा से नाना धर्मो को कहनेवाले वचनप्रकारको स्याद्वाद कहते हैं । अपेक्षावाद, कथंचित्वाद आदि इसीके नाम हैं ।
इन और एसे ही और अनेक सिद्धान्तोंका महावीरने प्रतिपादन किया था, जो जैन शास्त्रोंसे ज्ञातव्य हैं ।
अन्तमें ७२ वर्षकी आयु में कार्तिक वदी अमावस्या के प्रात. महावीरने पावासे निर्वाण प्राप्त किया, जिसकी स्मृति में जैन समाज में वीर निर्वाण सवत् प्रचलित है और जो माज २४७८ चल रहा है ।
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