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________________ परिशिष्ट प्रस्तुत ग्रन्थमे डॉ० कोठियाके जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ और ग्रन्थोकी प्रस्तावनाओमें पूर्व प्रकाशित सामग्री दी गयी है, उसके पूर्व प्रकाशित शीर्षक आदिका विवरण इसमें प्रकाशित शीर्षकोंके साथ यहां दिया जाता है- इस ग्रन्थमे प्रकाशित शीर्षक अन्यत्र प्रकाशित शीर्षक आदि विवरण धर्म १ पुण्य और पापका शास्त्रीय दृष्टिकोण पुण्य और पापकी शास्त्रीय स्थिति, जैन सन्देश, वर्ष ३०, अक २४, जैन सघ, मथुरा। २. वर्तनाका अर्थ क्या वर्तनाका अर्थ गलत है ?, 'अनेकान्त', वर्ष ७, किरण ११-१२, ई० १९४५ । ३ जीवनमे सयमका महत्त्व सयमकी आवश्यकता, 'जैनदर्शन' (मासिक), जनवरी १९३७ । ४ चारित्रका महत्त्व जैन दृष्टिमें चारित्रका स्थान, 'जैन प्रचारक', मासिक, सितम्बर १९४०, बालाश्रम, दिल्ली। ५ करुणा जीवकी एक शुभ परिणति शीर्षक वही, प्रज्ञा (त्रैमासिक), का० हि० वि० वि०, दिसम्बर १९७२ । ६ जैन धर्म और दीक्षा शीर्षक वही, सम्पादकीय, जैन प्रचारक (मासिक), जनवरी १९५१। ७ धर्म एक चिन्तन धर्मकी आवश्यकता, जैन सन्देश, सितम्बर १९५०, जैन सघ, मथुरा। ८ सम्यक्त्वका अमूढदृष्टि अग एक महत्त्व- अमूढदृष्टि बनाम परीक्षण-सिद्धान्त, जैन सन्देश पूर्ण परोक्षण-सिद्धान्त (साप्ताहिक), सितम्बर १९६४ । ९ महावीरको धर्मदेशना महावीरकी जीवन-झांकी, जीवन साहित्य, (मासिक), दिल्ली, अक्तूबर १९५२ । १०. वीर-शासन और उसका महत्त्व शीर्षक वही, अनेकान्त (मासिक), वर्ष ५, किरण ५, ई० १९४३, सरसावा (सहारनपुर)।। ११. महावीरका आध्यात्मिक मार्ग महावीर और दीपावली, जैन प्रचारक, अक्तूबर १९४०, बाल आश्रम, दिल्ली । १२ महावीरका आचार-धर्म शीर्षक वही, पुस्तिका, पर्यपण, २३ सितम्बर १९६१ । १३ भ० महावीरकी क्षमा और अहिंसाका शीर्षक वही, महावीर-जयन्ती स्मारिका, जयपुर। -. एक विश्लेषण १४ भ० महावीर और हमारा कर्तव्य शीर्पक वही, जैन गजट, अप्रेल १९५४ । . -३७१
SR No.010322
Book TitleJain Tattvagyan Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1983
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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