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________________ (क) 'यद्वेदाध्ययन सर्व तदध्ययनपूर्वकम् तदध्ययनवाच्यत्वादधुनेव भवेदिति ॥'---मी० श्लो० अ० ७, का० ३५५ । इत्यस्मादनुमानात्स्याद्वेदस्यापौरुषेयता ।१०-३७। (ख) 'स्वत सर्वप्रमाणाना प्रामाण्यमिति गम्यताम् । न हि स्ततोऽसती शक्ति कर्तुमन्येन शक्यते ॥' -मी० श्लो० सू० २, का० ४७ । इति वार्तिकसद्भावात् । -१-११। (ग) 'शब्दे दोषोद्भवस्तावद्वक्त्र्यधीन इति स्थिति । तदभाव. क्वचित्तावद् गुणवद्वक्तृकत्वत ॥'-मी०श्लो॰सू० २, का० ६२ । इति वात्तिकत शब्द -११-२० । इसी तरह प्रशस्तकर', दिग्नाग', धर्मकीर्ति जैसे प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रन्थकारोके पाद-वाक्यादिकोके भी उल्लेख इसमें पाये जाते है। स्याद्वादसिद्धि हिन्दी-सारांश १ जीव-सिद्धि मङ्गलाचरण-श्रीवर्द्धमानस्वामीके लिये मेरा नम्र नमस्कार है जो विश्ववेदी (सर्वज्ञ) है, नित्यानन्दस्वभाव है और भक्तोको अपने समान बनानेवाले हैं-उनकी जो भक्ति एव उपासना करते हैं वे उन जैसे उत्कृष्ट आत्मा (परमात्मा) बन जाते है। १ 'इह शाखासु वृक्षोऽयमिति सम्बन्धपूर्विका । बुद्धिरिहेदबुद्धित्वात्कुण्डे दधीति बुद्धिवत् ॥५-८॥ ____ इसमें प्रशस्तकरके प्रशस्तपादभाप्यगत समवायलक्षणकी सिद्धि प्रदर्शित है । तथा आगेकी कारिकाओमें उनके 'अयतसिद्धि' विशेषणकी आलोचना भी की गई है। 'विकल्पयोनय शब्दा इति बौद्धवच श्रुते । कल्पनाया विकल्पत्वान्न हि बुद्धस्य वक्तृता ।।७-५॥ इस कारिकामें जिस 'विकल्पयोनय शब्दा' वाक्यको बौद्धका वचन कहा गया है वह वाक्य निम्न कारिकाका वाक्याश है'विकल्पयोनय शब्दा विकल्पा शब्दयोनय । तेषामन्योन्यसम्वन्धो नार्थान शब्दा स्पृशन्त्यमी ।' यह कारिका न्यायकुमुदचन्द्र (पृ० ५३७) आदि ग्रथोमें उद्धृत है। ८वी-९वी शतीके विद्वान् हरिभद्रने भी इसे अनेकान्तजयपताका (१० ३३७) में उद्धृत किया है और उसे भदन्त दिन्नकी बतलाई है । भदन्त दिन्न सम्भवत दिग्नागको ही कहा गया है। इस कारिकामें प्रतिपादित सिद्धान्त (शब्द और अर्थके सम्बन्धाभाव)को दिग्नागके अनुगामी धर्मकीर्तिने भी अपने प्रमाणवातिक (३-२०४) मे वणित किया है। "विधूतकल्पनाजालगम्भीरोदारमूर्तये । इत्यादिवाक्यसभावात्स्याद्धि बुद्धऽप्यवक्तृता ।।'७-४। इस कारिकाका पूर्वार्ध प्रमाणवार्तिक १-१ का पूर्वार्ध है। - १७१ -
SR No.010322
Book TitleJain Tattvagyan Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1983
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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