________________
दान, जीवन श्री जगन
आश्चर्य कुछ दार्शनिक यह मानने है कि मानव के निम्न का मुख्य प्राधार एक प्रकार का ग्रानयं है। मनुष्य जब प्राकृतिक कृतियों एवं शक्तियों को देखता है तब उसके में एक प्रकार का ग्रान उत्पन्न होना है। यह सोचने लगता है कि यह सारी लीला कमी है? इस नीला के पीछे किसका हाथ है ? जब उसे कोई ऐसी कि प्रत्यक्ष से दृष्टिगोचर नहीं होती, जो इस लीला के पीछे कार्य कर रही हो, तब उसका श्राप और भी बढ़ जाता है। उन प्रकार श्राप से उत्पन्न हुई विचारधारा क्रमशः आगे बढ़ती जाती है औ मनुष्य नाना प्रकार की युक्तियुक्त कल्पनाओं द्वारा उस विचारपरम्परा को करने का प्रयत्न करता है | यही प्रयत्न धा जाकर दर्शन में परिवर्तित हो जाता है। टीना अन्य प्रारंभिक ग्रीक दार्शनिकों ने स्वयं के आधार पर ही वार्शनिक मिनि का निर्माण किया था
परे कुछ दार्शनियों का विश्वास है कि दर्शन की उत्पत्ति वयं मे नही पति से होती है। जिस समय वृद्धिप्रधान मानव बालजगत् गता के किसी भी अंग के विषय करने लगता है, उस समय उसको विचारकि जिन मार्ग काव्यालम्बन देवी है की भावना रूप धारण करना है । पश्चिम में का ही होता है । यह शयन देवन में समवना चाहिए, जिसने विज्ञान र दर्शन के qur in fan werkt (Teachings of the Church) कोन की राति का। उसने सुधार का मुख्य आपार मत गना पर इसी बाधा परविवारपास पीवाई। इसी प्रकार ऐ में भी श्री वीर गयी।
चीन
-w
परद कार्यक्रम
नेपाल उसके पति पर जी
पर इस
होता है यहाँ
प्रपत्र मदिश नये किया जि हैया नहीं? इस यह दिया कि
dapat diely
कि लोग नहीं