________________
पृष्ठ संख्या
छ9,
s
श्रमण संस्कृति 'श्रमण' शब्द का अर्थ जैन परम्परा का महत्त्व जैन दर्शन का प्राधार आगम युग आगमों का वर्गीकरण आगमों पर टीकाएँ दिगम्बर आगम स्थानकवासी आगम ग्रन्थ आगमप्रामाण्य का सार आगम युग का अन्त प्राचार्य उमास्वाति और तत्त्वार्थ सूत्र"" तत्त्वार्थ पर टीकाएँ अनेकान्त-स्थापना-युग सिद्धसेन समन्तभद्र मल्लवादी सिंहगरिण पात्रकेशरी प्रमाणशास्त्र-व्यवस्था-युग अकलंक हरिभद्र विद्यानन्द शाकटायन और अनन्तवीर्य माणिक्यनन्दी, सिर्षि और अभय देव... प्रभाचन्द्र और वादिराज जिनेश्वर, चन्द्रप्रभ और अनन्तवीर्य वादी देवसूरि हेमचन्द्र
uuuaw"
. x win mm omorrow momorrow
००४
or or or