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(१३०)
सार. कामदेवने पूर्ण दृढता रक्खी। चुलणीपियाने मातृप्रेम जैसे सद्गुणको अयोग्य समयमें बीचमें डाल तन्मयता गँवाइ और इस सुरादेवने शारीरिक पीडा (बाधा)के भयसे ( केवल स्वार्थसे) ध्यान खोया। आगे एक अध्ययनमें लक्ष्मीक मोहसे ध्यान भंग करने का.भी दृष्टान्त आवेगा।
ध्यानसे विचलित होने के ऐसे विविध कारण बताकर छठे अध्ययनमें सच्चे भक्तजनकी भगवानकं वचनमें कैसी अडग श्रद्धा होती है इसका दृष्टान्त देंगे। ___ इन सब कारणांसे ज्ञात होकर आत्मार्थी पुरुपको अपने प्रयासमें विशेष.सावधान होना चाहिये। ..
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