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अध्ययन २ रा-सुश्रावक कामदेव.
उस काल उस समयमें चंपा नामकी नगरी थी । उस नगरीमें पूर्णभद्र नामका देहरा था, वहांका राजा था जीतशत्रु। इसी नगरीमें एक धनाढय गाथापति रहता था, उसका नाम था कामदेव । इसके घरमें छ कोटी सुवर्णभूमिमें गड़ा हुआ था, छ करोडसे व्यापार चलता था, और छ करोडके सामानसे घर सजा रखा था। इसके सिवाय छ गोकुलका वह स्वामी था। एक एक गोकुलमें दस हजार गायें थी। ___ कामदेवकी धर्मपत्नीका नाम भद्रा था। वह बडी रुपवान थी और पांचों इन्द्रियोंसे सुशोभित थी। ___एक समय श्री महावीर स्वामी पूर्णभद्र चैत्यमें पधारे । उन्होंको वंदना करनेको आनंदजीकी तरह कामदेव भी गये और भगवानको वंदना कर धर्मकथा श्रवण करी, आनंदजीकी तरह 'श्रावक धर्म' अंगीकार किया, घर आकर घरका कार्यभार बडे बेटेको सुपुर्द किया।
बाहरका बोझ उतारकर भीतरका बोझ उतारने के अभिलाषी कामदेव श्रावक स्त्री, ज्येष्ठ पुत्र और मित्रादिको पूछ कर पौपधशालामें आये । आनंदजीकी भांति पौषध करने लगे, और श्रावककी ११ प्रतिमा (पडिमा) अंगीकार की।