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अ - कर्म कैसे होते हैं ?
..उ — कर्म जड़, रूपी और पुद्गल परिणामवाले होते हैं ।
प्र - जड किसको कहते हैं ?
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उ - जो चेतना से रहित है वह जड हैं ।
प्र-कर्म कैसे हैं ?
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उ कर्म रूपी हैं । ( कर्म रुपी है मगर अति सूक्ष्म होने से चर्मचक्षुओं से उस को नहीं
देख
सकते, केवल
• ज्ञानी उस को देख सकते हैं . . )
अ - पुद्गल किसको कहते हैं ?
( ५१ ).
.कर्म.
अ-जीव कितने हैं ?
- जीव अनन्त हैं ।
उ—पुद्गल अर्थात् पूरण, ( स्कन्ध की दृष्टि से मिलना ) और गलन ( . क्षय होनेवाला ) स्वभाव जिस का हैं उस को पुद्गल कहते हैं
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उ
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जीव.
प्र - जीव के कितने भेद हैं और वे कौन कौन से हैं ? उ-जीव के दो भेद हैं । (१) संसारी (२) सिद्ध । प्र-संसारी जीव किस को कहते हैं ? ..