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(४०) गमज्ञ के पास जिनागमों को देखना चाहिए.। मैं कोई आगमों का अभ्यासी नहीं या कोई विद्वान नहीं, परन्तु जो कुछ पढने में आया उस का अंशमात्र यहाँ देता हूँ । इस परसे पूज्य अहंतोंने विज्ञान विषयक क्या २ कहा है वह भी मैं नहीं कह सकता । केवल विज्ञानवेत्ताओं को कोई अच्छे आगमज्ञ के पास उस को पढने की जरुरत है। इतना ही कहना यहाँ काफी होगा।
यह तो प्रत्येक को सुविदित है कि प्राचीन समय में भाज की तरह सूक्ष्मदर्शक यंत्र नहीं थे और वे निःस्पृहियों को उन की आवश्यकता भी न थी । जिस का दिव्यज्ञान विकसित है, जो इन्द्रियातीत ज्ञान के धारक हैं, जो सर्वज्ञ हैं वे अपने ज्ञानमें सब कुछ देख सकते हैं । भूत, वर्तमान और भविष्य उन की नजरों के सामने होता है।
अब जैनदर्शनकथित विज्ञान की रुपरेखा यहाँ देता हूँ।
(१) जल के एक विन्दु में असंख्य जीव हैं ऐसा जैनशास्त्र कहता है। उस में तो यहाँ तक लिखा है कि. भगर वे जल के एक बिन्दु के जीव अगर कपोत के जितनी देह धारण करें तो जम्बूद्वीप में वे रह नहीं सकते।
इस विषयक चर्चा जब मैंने नृसिंहाचार्य की तरफ से प्रकाशत " महाकाल" नामक मासिक से पढी तब मुझ को ज्यादह विश्वास हुआ। नृसिंहाचार्य के संप्रदाय की ओर से प्रथम वह