________________
(१५) आंखो से देखा है कि हाथी वास्तव में एक जबरदस्त प्राणी है और अति सुशोभित एवं उपयोगी जानवर है। आप लोगोंने मात्र स्पर्शद्वारा हाथी का एक एक अंग ही देखा है अतः हाथी का वास्तविक सत्य स्वरुप समझने से दूर हो रहे हो । इस तरह एकान्त मार्ग उन अन्धों की तरह मात्र एक ही अमुक सत्यांश का प्रतिपादन करता है जब अनेकान्तवादस्याद्वाद् धर्म उस नेत्रवान मनुष्य की तरह संपूर्ण सत्य का प्रतिपादन करता है अतः वस्तुस्थिति को यथार्थ रुपमें पहिचानने के लिये एकान्तदृष्टि की अपेक्षा अनेकान्त दृष्टि से देखना चाहिये जिस से सत्य तत्त्व की प्राप्ति हो सके | स्याद्वाद सिद्धान्त की यही महत्ता है।
स्याद्वाद सिद्धान्त के पालन से क्रमशः समन्वय, अविरोध, साधन और फल की प्राप्ति होती है । क्यों कि जहां समन्वय दृष्टि है वहां स्याद्वाद अवश्यंभावी है । जहां स्याद्वाद सिद्धान्त का वास्तविक पालन है वहां विरोधवृत्ति उपशांत हो जाती है। विरोधवृत्ति उपशान्त होने से साधनमार्ग की प्राप्ति और उस से 'फल की प्राप्ति भी अवश्यमेव है । इस तरह अनेकान्त दृष्टि से 'आत्मा को अनेक लाभ हांसिल होते हैं । विश्वमें रहे हुए
मताभिमान और कदाग्रह की जड को नष्ट करना हो तो अने- कान्तवाद ग्रहण किये विना छूटकारा नहीं है अतः समस्त . तत्त्वाभिलाषीओं को चाहिये कि वे स्याद्वाद मार्ग को जरुर
अंगिकार करें, उन के लिये परम हितावह यही एक मार्ग है । - जिस समय धर्मान्धता का प्रवाह खूब जोर से बढा हुआ