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श्री जैन तत्त्वसार सारांश
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[ प्रथम विभाग ]
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जैनदर्शन सम्बन्धी किञ्चिद्वक्तव्य ::
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-: उन की विशालता और गौरव :
विश्ववंद्य जैन सिद्धान्तों का दिग्दर्शन:--
जैनधर्म के मुख्य २ सिद्धान्त यानि मंतव्य जो कि जगत्भरमें तत्वज्ञों को, उन के अभिलाषीओं को और खास कर के सर्व दर्शनो को मान्य हो सके ऐसे हैं । यही उन की विशालता और गौरव है । जैनधर्म के अटल अभ्यासी प्रोफेसर हर्मन जेकोबी महाशय कहते हैं कि-