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( ११३) . और भी संसार में अन्य मनुष्यों को जिन चीजों का ज्ञान भी नहीं होता, उन चीजों को उस के वास्तविक स्वरूप को समजनेवाले अच्छी तरह से ज्ञात करते हैं। · · नैमित्तिक लोग ( ज्योतिर्विद ) ग्रहण, ग्रहोदय, गर्भ तथा मेघ का आगमन काल जान सकते हैं। - वैद्य शरीर में स्थित प्रत्येक व्याधियों का निदान कह सकता है। __ जासूस वर्ग पदचिह्नों से भी वास्तविक चोर को पकड सकते है । शाकुनिक शकुन को कह सकता है। सामान्य जन ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता। इसी से हि ज्ञात हो सकता है कि इन्द्रियों से और क्या बोध हो सकता है ?
सारांश में यह है कि प्रत्येक जन परोक्ष पदार्थों का ज्ञान नहीं कर सकता । संपूर्ण ज्ञान तो केवलज्ञानी को ही होता है। इन्द्रियाँ होने पर भी मनुष्य आचार, शिक्षा, विद्या, मंत्र आदि स्वयं नहीं ज्ञात कर सकता वहाँ पर अन्य के उपदेश की आवश्यकता होती है।
इस लिए स्थिर चित्त होकर, संपूर्ण विकल्पों को छोड के समजो कि इन्द्रियाँ स्वग्रहण योग्य पदार्थों का ही ग्रहण करती है । जो ज्ञान परोक्ष होता है यह परोपदेश से शीघ्र समजने में
आता है। जैसे स्वशरीरगत रोग को किसी चिकित्सक के कहने पर ही पहिचान सकते हैं; स्वयं नहीं जान सकते ।