________________
-
गा
PUN
१० वाँ अधिकार.
ईश्वर निरुपण-इस जगत का कर्ता कोई नहीं है। प्र० परब्रह्मका क्या स्वरूप है ? उ० परोपकारपरायण, वीतराग, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी और प्राप्त
( यथास्थित वस्तुको जाननेवाले और कहनेवाले ) यह परब्रह्म का स्वरूप कहा है।
परब्रह्म उसी ही को कहते है कि जो निर्विकार, निष्क्रिय, निर्माय, निर्मोह, निर्मत्सर, निराभिमान, निस्पृह, निरपेक्ष, निरंजन, अक्षर, ज्योतिर्मय, रोग और विरोध से हीन, प्रभामय है और जगत जिस की सेवा करता है और जिस के ध्यान से भक्तसंघ निवृत्ति को पाप्त होता है ऐसे
ईश्वर स्वरूपवाला है। प्र. क्या परब्रह्म सृष्टि का कारण है ? क्या जगत् युगान्त को
ब्रह्म में लीन होता है ? उ० परब्रह्म को सृष्टि बनाने का कोई प्रयोजन नहीं है, और
उस के लिए कोई प्रेरणा करनेवाला भी कोई नहीं है । अगर परब्रह्म सृष्टि रचनेवाला हो तो ऐसी रचना