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________________ .....-2- - - OTERARMSHAN LATESUPER NERA पाHARIS PANT H IMIN - अष्टम अधिकार. प्र० मुक्ति कैसे होती है ? उ० आत्मज्ञान प्राप्त करने से मुक्ति होती है। प्र० अन्य संप्रदायवाले मुक्ति किस से मानते हैं ? उ० वैष्णव विष्णुसे, ब्रह्मनिष्ट ब्रह्म से, शैव शिव से और शाक्तिक शक्ति से मुक्ति को मानते हैं। उन के मत में आत्मज्ञान मुक्ति का कारण नहीं है । प्र० विष्णु का क्या अर्थ है । उ० विष्णु शब्द से आत्मा ही वाच्य-बोध्य-समजने योग्य __ है | आत्मा को केवलज्ञान प्राप्त होता है, तब वह संपूर्ण ___लोकालोक का स्वरूप जानता है । अर्थात् ज्ञान वही आत्मा __ और उस से सर्वत्र व्याप्त होने से आत्मा ही विष्णु है । प्र० ब्रह्म अर्थात् क्या ?
SR No.010319
Book TitleJain Tattvasara Saransh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandra Gani
PublisherJindattasuri Bramhacharyashram
Publication Year
Total Pages249
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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