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अनादि संसिद्ध छे, दुधनो अने तेमा रहेला घीनो योग समकाले (एकीवखते ) थयेलो होयछे, सूर्यकान्त मणिनो अने तेमां रहेला' अग्निनो तथा चन्द्रकान्त मणिनो अने तेमा रहेला अमृतनो योग साथे उत्पन्न थयेलो होयछे, तेवीन रीते कर्मोनो अने आत्मानो योग केवलज्ञानीओए अनादि संसिद्ध कयोछे.. ____ *जेम तथाप्रकारनी सामग्रीना योगे सोनु पथ्थर-( मृत्तिका ?)' मांथी जूदुं पड़ी शके छे तेम आत्मा पण कर्मोनी साथे तेनो अनादि संबंध छतां कर्मोथी भिन्न ( मुक्त ) थइ शके छे.
. *जेम पहेलु सोनुं अने पछी पथ्थर अथवा पहेलो पथ्थर -
भने पछी सोनु इत्यादि भकारनो भेद कदी कही शकातो नथी सेम . जीव पहेलो अने पछी कर्म अथवा पहेलां कर्म अने पछी जीव एवो भेद घटी शकतो नथी. वनेनो समसमये-ज थयेलो अनादि संसिद्ध संबंध छे.-पर्यायकार, . .