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( २१ )
इस प्रकार कहते यदि कोई प्राणी कम और आश्रव को एक श्रद्धे तो उसे जीव तथा आश्रव भिन्न २ समझाने हेतु चौथा दृष्टांत कहते हैं :(१) जिस प्रकार पानी आने का साधन आव (नाला) है परन्तु पानी तो नाला नहीं उसी प्रकार कर्म आने का मार्ग आश्रव है किन्तु कम आश्रव नहीं । (२) जिस प्रकार मनुष्य के आने का मार्ग द्वार कहलाता है, परन्तु मनुष्य द्वार नहीं कहलाता उसी प्रकार कर्म आने का मार्ग आश्रव है परन्तु आश्रव कम नहीं । (३) जिस प्रकार जल प्रवेश का मार्ग छिद्र है परन्तु जल छिद्र नहीं, उसी प्रकार कर्म प्रवेश मार्ग आश्रव है परन्तु कर्म आश्रय नहीं। (४) जिस प्रकार धागा प्रवेश के लिए नाका (छिद्र) है परन्तु धागा तो नाका (छिद्र) नहीं उसी प्रकार कर्म प्रवेश हेतु आश्रव है परन्तु कम आश्रय नहीं। विशेष समझाने हेतु पांचवा दृष्टांत कहते हैं -
जिस प्रकार पानी और नाला ये दोनों भिन्न हैं उसी प्रकार कर्म और आश्रव भिन्न २ हैं। इसी प्रकार ये चार दृष्टांत जानने चाहिए। इस प्रकार भाव आश्रव जीव के परिणाम हैं, परन्तु मुख्य नय में अशुद्ध परिणाम हैं । इसलिए आश्रव जीव नहीं है वरन् अजीव है जहां काट नहीं