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४. दृष्टांत द्वार
जीव का चैतन्य लक्षण किस दृष्टांत से ? यह जानने देखने एवं उपयोग से जाना जाता है। चैतन्य जीव का गुण है । जिस प्रकार गुड़ का गुण मिठास है उसी प्रकार जीव का गुण चेतन है । जिस प्रकार गुड़ और मीठास एक है उसी प्रकार जीव और चेतन एक है ।
अजीव का अचेतन लक्षण जड़ रूप है । उसके पांच भेद है - (१) धर्मास्तिकाय का चलन (गति) गुण वह किस दृष्टांत से १ जिस प्रकार मछली को गति देने में पानी आधार है एवं पंगु को लकड़ी का आधार है, उसी प्रकार जीव एवं पुद्गल को गति प्रदान करने में धर्मास्तिकाय का आधार है ।
(२) अधर्मास्तिकाय का स्थिर गुण वह किस दृष्टांत से ? जिस प्रकार उष्ण काल में तृष्णित प्यास से पीड़ित पंथी को वृक्ष की छाया आधार है उसी प्रकार जीव पुद्गल को स्थिर रहने में अधर्मास्तिकाय का आधार है ।
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(३) आकाशास्तिकाय का अवकाश गुण वह किस दृष्टांत से १ जिस प्रकार एक कक्ष (कमरे) में एक दीपक की ज्योति समाहित होती है उसी कमरे में हजार दीपक की ज्योति भी समाहित हो सकती है, जिस प्रकार पानी के लोटे में बताशा समाहित हो जाता है, जिस प्रकार