________________
जैन स्वाध्यायमाला
२६३
क्खमित्ता बहिया जणवयविहार विहरइ ।१६।
तए ण से धणे अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अतिए सामाइयमाइयाइ एक्कारस मगाई
अहिज्जइ, अहिज्जित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे - विहरइ ।१७।
तए णं से घण्णे अणगारे तेण ओरालेणं जहा खदमोजाव सहययासणे इव तेयसा जलते उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्टइ।
धन्नस्स ण अणगारस्स पयाण अयमेयारूवे तवरूवलावण्णे होत्था, से जहानामए सुक्खछल्लोइ वा, कट्ठपाउयाइ वा, जरगोवाहणाइ वा, एवामेव धन्नस्स अणगारस्स पाया सुक्का भक्खा लुक्खा णिम्मसा अट्ठिचम्मछिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मससोणियत्ताए ।१९ .
धन्नस्स ण अणगारस्स पायगुलियाण अयमेयारूवे तव. रूबलावण्णे होत्था से जहानामए-कलसंगलियाइ वा मुग्गसंगलियाइ वा माससगलियाइ वा, तरुणिया छिण्णा उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी मिलायमाणी चिटुइ, एवामेव धन्नस्स पायंगुलियाओ सुक्काओ जाव णो मंससोणियत्ताए ।२०।
धन्नस्स ण अणगारस्स जघाण अयमेयाल्वे तवरूवलावणे होत्था, से जहानामए-काकजवाइ वा, ककजघाइ वा, ढेणियालियाजंघाइ वा, एव जाव सोणियत्ताए ।२१।।
धन्नस्स ण जाणूण अयमेयारूवे तवरूबलावण्णे होत्था, से जहानामए-कालिपोरेइ वा, मयूरपोरेइ वा, ढेणियालियापोरेइ वा, एव जाव सोणियत्ताए ।२२।